केवल प्रयास ही एकमात्र साधन है जिससे आप सफल हो सकते हैं।
बादल अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा था। वह अभी 1 साल का ही था और रोज अपने पिता राजा के साथ ट्रैक पर जाता था। राजा घोड़ों की बाधा दौड़ का चैंपियन था और कई सालों से वह अपने मालिक को सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार का खिताब दिला रहा था। बादल भी राजा की तरह बनना चाहता था। लेकिन इतनी ऊंची-ऊंची और कठिन बाधाओं को देखकर उसका मन छोटा हो जाता और वह सोचने लगता कि वह कभी अपने पिता की तरह नहीं बन पायेगा।
एक दिन जब राजा ने बादल को ट्रैक के किनारे उदास खड़े देखा तो बोला क्या हुआ बेटा तुम इस तरह उदास क्यों खड़े हो? उसने कहा कुछ नहीं पिताजी आज मैंने आपकी तरह उस पहली बाधा को कूदने का प्रयास किया लेकिन मैं मुंह के बल गिर पड़ा। मैं कभी आपकी तरह काबिल नहीं बन पाऊंगा। राजा बादल की बात समझ गया। अगले दिन सुबह-सुबह वह बादल को लेकर ट्रैक पर आया और एक लकड़ी के लट्ठ की तरफ इशारा करते हुए बोला चलो बादल, ज़रा उसे लट्ठ के ऊपर से कूद कर तो दिखाओ।
बादला हंसते हुए बोला ये तो ज़मीन पे पड़ा है, उसे कूदने में क्या रखा है। मैं तो उन बाधाओं को कूदना चाहता हूं जिन्हें आप कूदते हैं। राजा ने कहा मैं जैसा कहता हूं करो। अगले ही क्षण बादल लकड़ी के लट्ठ की और दौड़ा और उसे कूद कर पार कर गया। राजा ने कहा शाबाश! ऐसे ही बार-बार कूद कर दिखाओ। राजा उसका उत्साह बढ़ाता रहा। अगले दिन बादल उत्साहित था कि शायद आज उसे बड़ी बाधाओं को कूदने का मौका मिले पर राजा ने फिर उसी लट्ठ को कूदने का निर्देश दिया।
करीब 1 हफ्ते ऐसे ही चलता रहा फिर उसके बाद राजा ने बादल से थोड़े और बड़े लट्ठ कूदने की प्रैक्टिस कराई। इस तरह हर हफ्ते थोड़ा-थोड़ा कर के बादल के कूदने की क्षमता बढती गयी और एक दिन वो भी आ गया जब राजा उसे ट्रैक पर ले गया। महीनो बाद आज एक बार फिर बादल उसी बाधा के सामने खड़ा था जिस पर पिछली बार वह मुंह के बल गिर पड़ा था। बादल ने दौड़ना शुरू किया और उसे पार कर गया। इसलिए जल्दी हार मत मानिए, बल्कि प्रयास जारी रखिए। इस तरह आप उस लक्ष्य को भी प्राप्त कर पायेंगे जो आज असंभव लगता है।