एक घटना के बाद ऐसी बदली ज़िंदगी कि लाखों की नौकरी छूट गई
भारतीय मूल की दीपाली शार्प अपने पति क्रिस्टियन के साथ एक ऐसी जिंदगी जी रही थी जिसका हम और आप सिर्फ सपना देखते हैं। लाखों की गाड़ियां और महंगे रेस्टोरेंट में खाना उनके लिए आम बात थी। दीपाली और क्रिस्टियन इन्वेस्टमेंट बैंकर थे लेकिन एक घटना ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। इस घटना के बाद दोनों ने अपनी लाखों के वेतन वाली नौकरी छोड़ डॉक्टरी के पेशे से जुड़ गए। अब दोनों ने जेनरल प्रैक्टिस्नर की डिग्री पूरी कर ली है, जिसके लिए दोनों ने नौकरी से की गई अपनी सेविंग तक को खर्च कर दिया। दीपाली और क्रिस्टियन अपने पहले बच्चे की आने की तैयारी में थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
वर्ष 2002 में जब दीपाली अपने पहले बच्चे को जन्म देने वाली थीं तब उनके पति एक इनवेस्टमेंट बैंकर के तौर पर काम कर रहे थे। प्रेग्नेंन्सी के 20 वें सप्ताह के दौरान उनके पेट में पल रहे बच्चे के हर्ट का इलाज किया गया और छठे महीने में उनका पहला बच्चा मृत पैदा हुआ। यहीं से दीपाली की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। दीपाली कहती हैं कि 'उस दिन के बाद मेरी खुशनुमा जिंदगी बिल्कुल खाली लगने लगी। इस खालीपन को भरने के लिए क्रिस्टियन शाम के वक्त लोकल अस्पताल में हेल्प करने लगे, मैं चेल्सिया और वेस्टमिनस्टर के एचआईवी एड्सिट को वोलंटियर करती थी।
हम दोनों ही अपने पहले बच्चे की पैदाईश के दौरान डॉक्टरों द्वारा की गई देख रेख से काफी प्रभावित हो गए थे। उस पूरे इलाज के दौरान हमें लगा जो हमें मिला हम उसे वापस कर सकते हैं। ' अस्पताल के लिए वोलेंटियर करते-करते दीपाली को मेडिकल में रुची आने लगी। इस दौरान उन डॉक्टरों से अलग-अलग तरह के इलाज के बारे में पूछती रहती थीं। वो बताती हैं कि, 'इस दौरान एक डॉ ने मुझे कहा कि हो सकता है कि एक दिन तुम भी एक डॉ बन जाओ।' दीपाली ने अपने पति क्रिस्टियन से इस बारे में बात की। क्रिस्टियन ने भी इस पर हामी भर दी और उन्होंने नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में मेडिकल डिग्री के लिए दाखिला ले लिया।
दीपाली के मेडिकल के प्रति जोश को देख उनके पति ने भी एक साल बाद अपनी नौकरी छोड़कर डॉक्टरी की ट्रेनिंग के लिए भर्ती ली थी। दीपाली बताती हैं कि जब उन्होंने मेडिकल ट्रेनिंग के लिए दाखिला लिया था तब तक उनके दूसरे बच्चे का जन्म हो चुका था। उसका नाम सचिन है। वो कहती हैं कि आपकी परीक्षा के दौरान दोपहर के खाने में मुझे उसकी भी देखरेख होती थी, उसे दूध पिलाया होता था। दो साल बाद उन्हें एक बेटी भी हुई। जिसका नाम अंबिका है। दोनों के लिए मेडिकल की ट्रेनिंग आसान नहीं थी लेकिन फिर भी दोनों ने ही अपनी जनरल फिजीशियन की डिग्री पिछले साल पूरी कर ली। दोनों अब ग्लास्गो में अपने दोनों बच्चों के साथ रहते हैं। उनकी बेटी अब 11 साल की हो चुकी है और बेटा 13 साल का हो गया है।