धैर्य और कोशिश करते रहने से ही सफलता प्राप्त होती है।
होंडा कंपनी आज के क्षेत्र में काफी बड़ा और लोकप्रिय नाम है। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए होंडा के मालिक सोइचिरो होंडा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सोइचिरो होंडा शुरुआत में एक गैराज में मैकोनिक थे। जहां पर वे कारों को रेस के लिए तैयार करते थे।
इसके बाद होंडा ने 1936 में टोनी सीकी नाम की पिस्टन रिंग बनाने वाली कंपनी की स्थापना की। तो इस कंपनी से पिस्टन रिंग खरीदने लगी, लेकिन गुणवत्ता के मानकों पर खरा ना उतरने से इस खरीद को बंद कर दिया गया है। इसके बाद होंडा ने हार नहीं मानी और गुणवत्ता का स्तर बढ़ाकर 1941 में फिर से टोयोटा का अनुबंध प्राप्त किया।
लेकिन किस्मत ने फिर होंडा का साथ नहीं दिया और 1944 के अमेरिकी बम हमलों में उनकी कंपनी का फायरफैक्टरिंग प्लांट नष्ट हो गया। होंडा ने अपनी कंपनी के बचे हुए हिस्से को रियो को बेचकर 1946 में होंडा टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट खोला। यहां वे 12 व्यक्तियों के साथ 172 स्क्वेयर फुट की जगह में काम करते थे।
इनका काम मोटर बाइसिकल को इंप्रोवायड द्वारा बेचना होता था। बहुत ही कम समय में होंडा कंपनी मोटरसाइकिल के क्षेत्र में बड़ा नाम बन गया और इसके बाद पूरे अटके क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर दिया। इसके साथ ही टोयोटा की सबसे बड़ी कॉम्पिटीटर बन गई।