ऐसा ज्ञान किसी काम का नहीं है, जिसकी वजह से किसी भले इंसान का नुकसान होता है

एक सेठ ने अनजान व्यक्ति को साझेदार बनाया, सेठ का मित्र जानता था कि नया साझेदार ठग है, लेकिन उसने सेठ को ये बात नहीं बताई

ज्ञानी और अज्ञानी व्यक्ति को आसानी से समझाया जा सकता है, लेकिन अर्द्ध ज्ञानी व्यक्ति को स्वयं ब्रह्माजी भी नहीं समझा सकते हैं। अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। ऐसा ज्ञान किसी काम का नहीं होता है, जिसकी वजह से किसी भले इंसान का नुकसान होता है। अधूरा ज्ञान किस तरह नुकसान पहुंचा सकता है, इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये लोक कथा...

पुराने समय में एक सेठ का व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था। उसने आसपास के गांवों में भी अपना व्यापार बढ़ाने की योजना बनाई। एक व्यक्ति सेठ के पास आया और बोला कि वह साझेदार बनना चाहता है। सेठ व्यापार बढ़ाने के लिए एक साझेदार की जरूरत थी तो उसने अनजान व्यक्ति को भी अपने व्यापार में शामिल कर लिया। अब दोनों साझेदारी व्यापार करने लगे। नया साझेदार बहुत मेहनती था। सेठ और साझेदार की मेहनत से व्यापार एकदम तेजी से बढ़ने लगा। सेठ बहुत खुश था। एक दिन सेठ का करीबी दोस्त उससे मिलने आया तो उसने साथी साझेदार को देखा।

सेठ का दोस्त उस साझेदार को पहचान गया कि ये तो एक ठग है, चोरी करता है। सेठ का मित्र खुद को शास्त्रों का जानकार और ज्ञानी मानता था। उसने कहीं पढ़ा था कि कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। इसीलिए उसने नए साझेदार की सच्चाई सेठ को नहीं बताई। सेठ का मित्र बोला कि तुम्हारा नया साझेदार बहुत मेहनती है, सभी का विश्वास जीत लेता है। ये बात सुनकर सेठ को प्रसन्नता हुई, क्योंकि नया साझेदार मेहनत कर ही रहा था। जल्दी ही उसने सेठ का विश्वास भी जीत लिया। अब सेठ की तिजोरियों की चाबियां भी नए साझेदार के पास ही रहती थी।

एक रात मौका पाकर वह साझेदार सेठ का सारा धन लेकर भाग गया। सुबह जब सेठ नींद से जागा तो देखा कि उसका सारा धन गायब है। उसका पूरा व्यापार बर्बाद हो गया। दुखी सेठ अपने मित्र के पास पहुंचा और पूरी बात उसे बता दी। सेठ का मित्र बोला कि मैं तो ये बात पहले से जानता हूं कि वह एक ठग है। वह मेहनत करके दूसरों का भरोसा जीत लेता है और मौका पाकर उनका धन लेकर भाग जाता है। ये बात सुनते ही सेठ को क्रोध आ गया। उसने मित्र से कहा कि तुम्हे ये बात मालूम थी तो मुझे क्यों नहीं बताई? मेरी जीवनभर की कमाई लूट गई है। सेठ का मित्र बोला कि मैं कभी किसी बुराई नहीं करता हूं। बुराई करना पाप है। ये मैंने शास्त्रों में पढ़ा है। इसीलिए मैंने उसकी बुरी बातें तुम्हें नहीं बताईं। शास्त्रों के जानकार मित्र की ये बात सुनकर सेठ ने उससे कहा कि भाई आज तुम्हारे अधूरे ज्ञान की वजह से मैं सबकुछ बर्बाद हो गया है। ऐसा ज्ञान किसी काम नहीं है, जिससे किसी भले इंसान का नुकसान होता है।

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