जीवन के हर मोड़ पर हमारे सामने दो राहें यानी दो रास्ते होते हैं, यह हमें तय करना होता है कि हम किस रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। अपने रास्ते के समय हम अगर समझदारी से काम करेंगे तो आगे सब अच्छा होगा।
प्रवेश आज यही सोच रहा था कि पांच साल पहले उसे विदेश में जाना काम करने का कितना जुनून था। इसी खोज-से पड़ताल में उसकी मुलाकात पप्पन से हुई। पप्पन से मिलते आत्मीयता ऐसी हुई कि फिर दोस्ती, घर आना-जाना, चलना-सपाटा सब होने लगा। एक दिन प्रवेश ने पप्पन से अपने विदेश जाने के सपने के बारे में बात की। पप्पन ने उसे बताया कि वह इसी तरह काम में लगा है और पहले भी कई लोगों को विदेश भेज चुका है। उसकी बात से प्रवेश के अंदर एक उम्मीद जग गई थी। लेकिन कठिनाई थी रुपों की। पप्पन ने उसे 15 लाख का इंतजाम करने के लिए कहा था।
उसके पास अपनी जमा पूंजी के कुल 3 लाख रुपये थे। पिताजी से कुछ मांग नहीं हो सकती थी, क्योंकि एक तो वह रिटायर थे और बहन की शादी करनी थी। दूसरे वह प्रवेश के विदेश जाने के सख्त खिलाफ थे। बहुत हाथ-पैर मारे मगर बहुत रुपों का इंतजाम वह नहीं कर पाया। हार कर उसने अपने सपनों को छोड़ दिया और अपना बिजनेस सेनेटरी करने में लग गया। आज अचानक उसे यह पता चला कि यूं ही याद नहीं आया। आज के पत्र में बड़े-बड़े और मोटे अक्षरों में एक खबर छपी थी, मानव तस्करी गैंग का सरगना पकड़ा गया। इसमें तस्कर की जो तस्वीर छपी थी, उसे देखकर वह चौंक गया।
यह कोई और नहीं उसके मन विदेश जाने की आस जगाने वाला पप्पन था। समाचार पढ़ने के बाद वह पूरे दिन बेचैन रहा। बाहर गया तो उसे पप्पन के और भी कुछ किस्से सुनने को मिले। देर रात करीब 10 बजे वह घर पहुंची, तो देखा आज पापा ने भी खाना नहीं खाया था। उनके कमरे में प्रवेश किया और उन्हें लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा। पापा ने उसे शांत किया, पानी पिलाया और उससे इस तरह रोने का कारण पूछा। उन्होंने सुबह पत्र में पढ़ी खबर के बारे में बताया और फिर पापा से माफी मांगने लगा। वास्तव में, अपने विदेश जाने का सपना टूटने के लिए पापा को जिम्मेदार मानते थे।
इसी कारण से दोनों में काफी समय से बेहद सीमित बातचीत होती थी। आज पापा ने प्रवेश को कहा कि शायद अब आपको मेरी बात समझ में आ गई होगी। कोई जरूरी नहीं कि हम जो चाहते हैं, वो हर चीज हमें मिल जाए। जीवन में किसी भी समय आपके सामने दो रास्ते होंगे। यह आपको तय करना है कि आप को चुनना होगा। जब कुछ समझ में नहीं आया तो अपने परिवार के बड़ों से बात करो, दोस्तों से राय लो, पत्नी या आस-पड़ोस के लोगों से भी सलाह कर सकते हैं। इसके अलावा भी सरकारी या गैर सरकारी कई स्रोत होते हैं, किसी भी बात की तह तक जाने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं।